Kejriwal

Kejriwal: दो टूक शराब, शीशमहल और ‘जहरीली’ यमुना ने डुबोयी केजरीवाल की नैया?

Kejriwal: Liquor, Sheesh Mahal and ‘poisonous’ Yamuna drowned Kejriwal’s boat?

नरेश सिगची (वरिष्ठ पत्रकार) 

Kejriwal: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए और 27 साल बाद एक बार फिर दिल्ली में बीजेपी की सरकार बन गयी। अरविद केजरीवाल ने 2०13 में जिस एंटी करप्शन मूवमेंट को लेकर चुनाव जीता। वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि पार्टी को करप्शन ही ले डूबा। सड़क पर आंदोलन करने वाले केजरीवाल को शराब घोटाले में जेल की हवा खानी पड़ी।

 

छोटी सी कार, स्वेटर और मफलर वाली इमेज से निकलकर करोड़ों का शीशमहल खड़ा करने तक केजरीवाल की बदलती छवि को बीजेपी ने जनता के सामने ऐसे परोसा कि उनसे दिल्ली की कुर्सी ही छीन ली।

 

Kejriwal की शराब पॉलिसी के चलते एलजी के आदेश पर सीबीआई ने भ्रष्टाचार और ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध दर्ज कर लिया। 21 मार्च के दिन अरविद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया।

 

केजरीवाल की गिरफ्तारी से दिल्ली वालों के दिल पर गहरी ठेस पहुंची। क्योंकि जिस केजरीवाल को ईमानदर छवि के रूप में दिल्ली ने पलकों पर बिठाया, वही करप्शन के केस में जेल चले गए।

 

वह 6 महीने से भी ज्यादा समय तक जेल में रहे। इस दौरान बीजेपी ने केजरीवाल की ‘करप्ट’ छवि को पूरी ताकत से जनता के सामने रखा। इससे केजरीवाल और ‘आप’ की साख पर बुरी तरह ‘बट्टा’ लगा।

दिल्ली की जनता ने 1० साल केजरीवाल के शासन के बाद यह समझ लिया कि जेल, करप्शन और पार्टी में भितरघात व लगातार ‘आप’ छोड़ते नेताओं की ‘रेलमपेल’ की बजाय दिल्ली में इस बीजेपी पर विश्वास करना ही ज्यादा उचित होगा। इस कारण बीजेपी के लिए जमकर वोट डाले और प्रचंड जीत दिला दी।

 

जो केजरीवाल मफलर, स्वेटर और सिर पर टोपी पहनकर खुद को कॉमन मैन बताते थे और कहते थे कि वे कभी सरकारी आवास और गाड़ी तक का उपयोग नहीं करेंगे। इन्हीं केजरीवाल पर सरकारी बंगले को शीशमहल बनाने का आरोप लगा। सरकारी आवास को चमकदार और आलीशान बनाने के लि 45 करोड़ रुपये के खर्च को बीजेपी ने सबके सामने उजागर कर दिया।

 

केजरीवाल पर दिसंबर 2०24 में आरोप लगा कि सरकारी बंगले में उन्होंने 1.9 करोड़ रुपए से मार्बल ग्रेनाइट, लाइटिग और 35 लाख रुपए का जिम व स्पा बनवाया है।

 

बीजेपी ने इसका वीडियो भी जारी किया था। केजरीवाल ने 2०2० के पिछले चुनाव में जीत के बाद यमुना को साफ करने का बड़ा वादा किया था और पूर्ववतीã बीजेपी और कांग्रेस सरकारों को यमुना के मामले में कटघरे में खड़ा किया था।

 

लेकिन यमुना आज भी साफ नहीं हो पाई। छठ पूजन के दौरान भी ‘मैली’ यमुना की दुर्दशा पूरे देश ने देखी। केजरीवाल ने तर्क दिया कि कोविड और उनकी पार्टी के नेता जेल में रहे इस कारण यमुना पर ध्यान नहीं दे पाए। यह तर्क दिल्ली की जनता के गले नहीं उतरे, जो हार का एक बड़ा कारण बने ।

 

पीएम मोदी ने इस बार दिल्ली चुनाव की कमान अपने हाथ में रखी और केजरीवाल की पिच पर जाकर चुनाव लड़ा। केजरीवाल को हराने के लिए वह केजरीवाल से बड़े बन गये। रेवडियों का जवाब और बड़ी रेवड़ी से दिया। पीएम मोदी ने जान लिया था कि दिल्ली की जनता को रेवड़ियों से ही जीता जा सकता है।

 

केजरीवाल ने अपनी घोषणाओं में हर महिला को 21०० रुपये प्रति माह का लाभ देने की बात कही। बीजेपी ने 25०० रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया। केजी से पीजी तक फ्री शिक्षा और ऐसे ही बड़े वादे जनता के सामने रखे, जो केजरीवाल की योजनाओं पर भारी पड़े। दिल्ली में करीब 3.38 करोड़ लोग निवास करते हैं।

 

इनमें एक बड़ी आबादी मिडिल क्लास की है। करीब 67 फीसदी लोग मध्यम वर्ग में आते हैं। चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने बजट में 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स में शत प्रतिशत छूट देकर मिडिल क्लास में खुशी की लहर दौड़ा दी।

 

विधानसभा चुनाव से ऐनवक्त पहले आम आदमी पार्टी के करीब 8 बड़े नेताओं ने पार्टी को अलविदा कह दिया। इससे पहले भी पार्टी टूटकर आप नेता बीजेपी में शामिल हो गए। इनमें कैलाश गहलोत का नाम भी शामिल है।

 

वहीं राजेंद्रपाल गौतम ने कांग्रेस का हाथ थामा। बीजेपी ने चुनाव का तगड़ा मैनेजमेंट किया, जिससे आप पार नहीं पा सकी। स्टार कैंपेनर सहित खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार की कमान संभाली और धुआंधार जनभाएं कीं।

 

इसके अलावा बीजेपी ने अपने सभी मंत्रियों और सीएम और स्टार प्रचारकों तक की पूरी मशीनरी लगा दी। आप का चुनाव मैनेजमेंट बीजेपी के मुकाबले काफी कमजोर रहा।

 

ज्यादातर पुराने नेताओं पर ही आप ने भरोसा जताया। जबकि बीजेपी ने बड़ी संख्या में नए चेहरों को मौका दिया। केजरीवाल को भाजपा से ज्यादा कांग्रेस ने नुकसान पहुंचाया। 14 सीटें ऐसी रहीं जहां कांग्रेस को जीत के अंतर से ज्यादा वोट मिला।

 

अगर ये 14 सीटें ‘आप’ के खाते में जातीं तो आम आदमी पार्टी को आसानी से बहुमत मिल जाता। लेकिन कांग्रेस ने आप को हराकर अपना गुजरात, मध्य प्रदेश और हरियाणा का बदला ले लिया। उसने संदेश दे दिया कि वह अब क्षेत्रीय दलों की पिछलग्गू नहीं बनेगी। भले ही उसका नुकसान हो जाये।

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