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Highway and Expressway: प्रदेश में 85 किमी लंबी सड़क, 68 सुरंगों का निर्माण…

Highway and Expressway: भारत का पहला भूमिगत हाईवे: हिमाचल प्रदेश में 85 किमी लंबी सड़क, 68 सुरंगों का निर्माण

 

Highway and Expressway: भारत के इतिहास में पहली बार 85 किलोमीटर लंबा भूमिगत हाईवे बनने जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में यह परियोजना एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के तत्वावधान में तैयार हो रही है। इसमें कुल 68 सुरंगों का निर्माण किया जाएगा, जो सफर को आसान और रोमांचक बनाएंगे।

 

परियोजना की मुख्य विशेषताएं प्रोजेक्ट विवरण

कुल लंबाई: 85 किलोमीटर।

सुरंगों की संख्या: 68, जिनमें से 11 सुरंगों का निर्माण हो चुका है।

27 सुरंगों पर निर्माण कार्य प्रगति पर है।

30 सुरंगों की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है।

स्थान:

कीरतपुर-मनाली नेशनल हाईवे।

आपदा प्रभावित क्षेत्र: कुल्लू, मंडी, पठानकोट-मंडी, और पिंजौर-नालागढ़।

आपदा के बाद नई रणनीति:

पिछले वर्ष आई आपदा में हिमाचल प्रदेश के नेशनल हाईवे पर भारी नुकसान हुआ था।

आईआईटी और एनएचएआई के रिटायर्ड इंजीनियरों द्वारा जांच के बाद सुरंगों के निर्माण का सुझाव दिया गया।

सुरंगों के लाभ

आपदा से बचाव:

मानसून और भूस्खलन के दौरान होने वाले नुकसान से बचाने के लिए भूमिगत मार्ग अधिक सुरक्षित होंगे।

 

यात्रा की सुविधा:

लंबे ट्रैफिक जाम और जोखिम भरे पहाड़ी रास्तों की समस्या समाप्त होगी।

सफर अधिक तेज और आरामदायक होगा.

 

पर्यावरण संरक्षण:

सड़क के ऊपर की संरचना और वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचाए बिना सुरक्षित निर्माण।

 

आर्थिक विकास:

परिवहन आसान होने से पर्यटन और क्षेत्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा।

परियोजना की मौजूदा स्थिति

 

पिछली प्रगति:

50% डीपीआर तैयार।

11 सुरंगें बनकर तैयार, 27 पर काम जारी।

निर्माण प्रक्रिया में उच्च तकनीकों का उपयोग।

 

पर्यावरणीय स्वीकृति:

केंद्र और पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिल चुकी है।

 

भविष्य की योजना

एनएचएआई इस परियोजना को 2025 तक पूरा करने की योजना बना रही है। यह भारत का पहला ऐसा हाईवे होगा, जो अधिकतर हिस्सा भूमिगत होगा, और यात्री अनुभव को नए स्तर पर ले जाएगा। पर्यटन के लिए प्रसिद्ध हिमाचल प्रदेश में यह हाईवे नई संभावनाओं का द्वार खोलेगा।

 

निष्कर्ष

यह परियोजना न केवल हिमाचल प्रदेश की परिवहन प्रणाली को मजबूत करेगी, बल्कि भूस्खलन और पर्यावरणीय नुकसान से भी बचाएगी। भारत की तकनीकी क्षमता और इंजीनियरिंग के कौशल का यह एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

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