Haryana News: Despite the system of direct election of the mayor of the municipal corporation in Haryana, there is still a provision in the law for the election of the mayor indirectly.
Haryana News: धारा 53 में नगर निगम आम चुनाव बाद डिविजनल कमिश्नर द्वारा बुलाई गई नए सदन की प्रथम बैठक में नव-निर्वाचित सदस्यों (पार्षदों) द्वारा एवं उनमें से मेयर के निर्वाचन का उल्लेख– एडवोकेट हेमंत
चंडीगढ़ – ऐसा पढ़ने और सुनने में भले ही आश्चर्यजनक प्रतीत हो
परन्तु वास्तविक सत्य यही है कि हरियाणा में नगर निगम मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था लागू होने के बावजूद कानून में आज भी अप्रत्यक्ष तौर पर भी मेयर के निर्वाचन का प्रावधान मौजूद है.
आगामी 2 एवं 9 मार्च 2025 को हरियाणा राज्य की कुल 33 नगर निकाय (8 नगर निगमों – फरीदाबाद, गुरुग्राम, हिसार, करनाल, मानेसर, पानीपत, रोहतक, यमुनानगर , 4 नगरपालिका परिषदों एवं 21 नगर पालिका समितियों ) के आम चुनाव, 2 नगर निगमों – अम्बाला और सोनीपत के मेयर पद उपचुनाव, 1 नगरपालिका परिषद एवं 2 नगरपालिका समितियों के अध्यक्ष पद उपचुनाव एवं 3 नगरपालिका समितियों में 1-1 वार्ड सदस्यों के उपचुनाव
हेतु हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान कराया जाना है.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट एवं म्युनिसिपल कानून के जानकार हेमंत कुमार (9416887788) ने बताया कि साढ़े 6 वर्ष पूर्व सितम्बर, 2018 में हरियाणा विधानसभा द्वारा हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की कुछ धाराओं में संशोधन कर नगर निगम क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा मेयर का प्रत्यक्ष (सीधा) चुनाव करने सम्बन्धी प्रावधान किया गया था परन्तु ऐसा करते समय उक्त कानून की धारा 53 में उपयुक्त संशोधन नहीं किया गया जिस कारण आज भी इस धारा अनुसार नगर निगम के आम चुनाव के संपन्न होने के बाद उनके नतीजों के प्रकाशन के तीस दिनों के भीतर सम्बंधित मंडल आयुक्त द्वारा नगर निगम की बुलाई पहली बैठक में मेयर पद का चुनाव करवाने का उल्लेख है.
इस आशय में आगे यह भी उल्लेख है कि मंडल आयुक्त द्वारा किसी नगर निगम सदस्य (जिन्हें आम तौर पर पार्षद/काउंसलर कहा जाता है हालांकि ये शब्द हरियाणा नगर निगम कानून में नहीं है), जो मेयर पद के निर्वाचन के लिए उम्मीदवार नहीं होगा, को इस चुनावी प्रक्रिया की अध्यक्षता के लिए मनोनीत/ नामित किया जाएगा. इसमें आगे उल्लेख है कि अगर मेयर पद के ऐसे करवाए गए चुनाव हेतू हुए मतदान में अगर मेयर का चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के वोट बराबर होते हैं और एक अतिरिक्त वोट मिलने से उन उम्मीदवारों में से कोई एक मेयर के तौर पर निर्वाचित हो सकता है तो ऐसी परिस्थिति में चुनाव प्रक्रिया की अध्यक्षता करने वाले नगर निगम सदस्य द्वारा यह चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों की उपस्थिति में ड्रा ऑफ़ लोट (लाटरी सिस्टम) से भाग्यशाली विजयी उम्मीदवार का निर्णय किया जाएगा और उसे मेयर निर्वाचित घोषित किया जाएगा.
हालांकि हेमंत ने यह भी बताया कि दूसरी ओर 14 नवंबर, 2018 को हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के कई नियमों में उपयुक्त संशोधन किया गया जिसमें उसके नियम 71 को भी पूर्णतः संशोधित कर उसमें उल्लेख किया गया कि नगर निगम के आम चुनावों के परिणामों की अधिसूचना के तीस दिनों के भीतर बुलाई गयी पहली बैठक में मंडल आयुक्त द्वारा सीधे निर्वाचित मेयर और नगर निगम सदस्यों को पद और निष्ठा की शपथ दिलवाई जायेगी.
इस प्रकार हरियाणा में नगर निगम आम चुनाव के बाद निगम की पहली बैठक के एजेंडे / कार्य संचालन के सम्बन्ध में हरियाणा नगर निगम अधिनियम,1994 की उक्त धारा 53 और हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के उक्त नियम 71 में अंतर्विरोधी / विरोधाभास है.
बहरहाल, इस सम्बन्ध में एडवोकेट हेमंत का स्पष्ट कानूनी मत है कि चूँकि किसी विषय पर अगर अधिनियम (कानून ) की किसी धारा/प्रावधान और उस कानून के अंतर्गत बनाये गये नियम में कोई अंतर्विरोध हो, तो कानूनी धारा/प्रावधान ही सर्वोपरि/मान्य होता है क्योंकि कानून को विधानसभा (या संसद) द्वारा अधिनियमित किया जाता है जबकि उस कानून के अंतर्गत नियमो को राज्य ( या केंद्र सरकार) के प्रशासनिक सचिव/अधिकारियों द्वारा बनाये जाते है. हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 भी हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 32 के अंतर्गत बनाई गयी है.
इस के दृष्टिगत हेमंत द्वारा हाल ही में राज्य निर्वाचन आयोग एक बार फिर लिखा गया है कि वह तत्काल रूप से राज्य सरकार के साथ मामला उठाकर हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 53 में उपयुक्त संशोधन कराया जाए जिसमे नगर निगम के आम चुनावों के बाद बुलाई पहली बैठक में मेयर के चुनाव सम्बन्धी उल्लेख को हटा दिया जाए एवं ऐसा कानूनी संशोधन साढ़े 6 वर्ष पूर्व की तिथि अर्थात 4 अक्टूबर 2018 से लागू किया जाए अर्थात जिस तिथि से हरियाणा नगर निगम (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2018 ( नगर निगम मेयर के प्रत्यक्ष निर्वाचन का प्रावधान) लागू किया गया. उक्त कानूनी संशोधन के बाद ही प्रदेश के सभी नगर निगमों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मेयरों का प्रत्यक्ष चुनाव चुनाव कराने को पूर्ण वैधानिक मान्यता प्राप्त हो सकती है.